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Guru and Guru diksha गुरु एवं गुरु दीक्षा

गुरु कौन है, अथवा गुरु क्या है? एवं गुरु दीक्षा ? शिव ही गुरु हैं गुरु ही शिव हैं ! शिव भोलेनाथ परम गुरु परमात्मा हैं। शास्त्रों के अनुसार पांच प्रकार के गुरुओं परम गुरु, सद्गुरु, जगद्गुरु, धर्म गुरु, कुल गुरु में परम गुरु शिव ही श्रेष्ठतम गुरु है ! वास्तविक गुरु मतलब भगवत प्राप्त संत या श्रोत्रिय ब्रह्मनिष्ठ गुरु, यह दो गुण होते है गुरु में। श्रोत्रिय मतलब शास्त्रों वेदों पुराणों का ज्ञाता और ब्रह्मनिष्ठ मतलब भगवत प्राप्त (भगवान का दर्शन, प्रेम, भगवान की सारी शक्तियाँ, भगवान के पास जो कुछ है उसकी प्राप्ति) गुरु को हो। तो गुरु को शास्त्रों वेदों पुराणों का ज्ञान होता है और वो भगवान का दर्शन भी किये रहता है। तो चुकी वह गुरु ब्रह्मनिष्ठ होता है, इसलिए उसके पास सारी भगवान की शक्तियां होती है, इसी कारण से गुरु वही अलौकिक शक्ति शिष्य को दीक्षा के रूप में दे देता है। Astrologer Govind - Best Astrologer in Indore India अतएव, किसी को यह पता चल जाये की मेरा गुरु सही नहीं है, उससे चुचाप अलग हो जाओ।उदासीन हो जाओ उस पाखण्डी गुरु के प्रति। उदासीन मतलब न उससे न प्रेम औ
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Shakambhari Navratri 2019 शाकंभरी नवरात्रि 2019

शाकंभरी नवरात्रि 2019 16 जनवरी को 6:50 पूर्वाह्न बजे · ।। शाकंभरी नवरात्रि 2019 : नौ दिन होगी इस देवी की साधना, 21 को मनेगी शाकंभरी जयंती ।। शाकंभरी नवरात्रि पौष माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी से पूर्णिमा तक मानी जाती है। मकर संक्रांति से माता शाकंभरी नवरात्र का आरंभ हो गया है। यह पर्व 14 जनवरी 2019 से शुरू होकर 21 जनवरी 2019 तक मनाया जाएगा। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार गुप्त नवरात्रि की भांति शाकंभरी नवरात्रि का भी बड़ा महत्व है। माता शाकंभरी (शाकम्भरी) देवी दुर्गा के अवतारों में एक हैं। नवरात्रि के इन दिनों में पौराणिक कर्म किए जाते हैं, विशेषकर माता अन्नपूर्णा की साधना की जाती है। तंत्र-मंत्र के साधकों को अपनी सिद्धि के लिए खास माने जाने वाली शाकंभरी नवरात्रि के इन दिनों में साधक वनस्पति की देवी मां शाकंभरी की आराधना करेंगे। मां शाकंभरी ने अपने शरीर से उत्पन्न शाक-सब्जियों, फल-मूल आदि से संसार का भरण-पोषण किया था। इसी कारण माता 'शाकंभरी' नाम से विख्यात हुईं। तंत्र-मंत्र के जानकारों की नजर में इस नवरात्रि को तंत्र-मंत्र की साधना के लिए अतिउपयुक्त माना गया

Gupta navratri muhurat va pujan vidhi 2019 गुप्त नवरात्री 2019 मुहूर्त व पूजन विधि

गुप्त नवरात्री 2019 नवरात्रि वर्ष में चार बार आती है। चार बार का अर्थ यह कि यह वर्ष के महत्वपूर्ण चार पवित्र माह में आती है। यह चार माह है:- पौष, चैत्र, आषाढ और अश्विन। अत: ये चारों नवरात्रि वर्ष में 3-3 माह की दूरी पर हैं। गुप्त नवरात्रि प्रमुख रूप से हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और हरियाणा में मनाया जाता है। गुप्त नवरात्र माघ शुक्ल पक्ष में और आसाढ़ शुक्ल पक्ष में प्रतिपदा से नवमी तक होती है ! घट स्थापना का शुभ मुहूर्त व नियम :- 1. चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग में घटस्थापना का निषेध है। 2. द्विस्वभाव लग्न को चुनें 3. ईशान्य कोण यानी उत्तर-पूर्व में कलश की स्थापित करें। 4. पूर्व-दक्षिण दिशा में अखंड ज्योति जलाएं। 5. ध्यान रहे कि आसन की व्यवस्था ऐसी हो, जिससे पूजा करते समय मुंह पूर्व या उत्तर दिशा में ही रहे। 6. नारियल रखने के लिए शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि नारियल का मुख नीचे की तरफ रखने से शत्रु में वृद्धि होती है। नारियल का मुख ऊपर की तरफ रखने से रोग बढ़ते हैं, जबकि पूर्व की तरफ नारियल का मुख रखने से धन का विनाश होता है। इसलिए नारियल की स्थापना सदैव